Wednesday, February 20, 2008

स्वदेशी

मैं यह मानता हूं कि स्वदेशी हम सब को होना ही चाहिये, हम सब का मतलब "हम सब" होना चाहिये, न कि जो लोग प्रचार कर रहे हैं उन्हें छोड. कर.

कुछ लोग स्वदेशी का हथियार ले कर अपने लिये मुर्गा तलाशते रह्ते हैं क्या आपने कभी गौर किया है कि उनके हाथ में घडी कौनसी है, उन के चश्में के शीशे कहां के हैं, उनके जूते कहां के है, उनके जेब में लगा हुआ पेन कहां का है, उनके कपडे. कहां के हैं, खाने में जो चीज़ें वो खाते है वो कहां से मंगवाइ गईं है, पानी किस कम्पनी का पी रहे हैं बच्चे कहां से पढाई कर रहे हैं बैंक में खाता कहां है इत्यादि इत्यादि............
जब आप गौर करेंगे तो आप को मिलेगा कि उनके हाथ में जो घडी है वो स्विज़रलेन्ड की है, उनके चश्में जर्मनी से आयें हैं, उनके जूते इंग्लेन्ड से मंगाये हैं, जेब में पेन जापानी है, कपडे अमेरिका से आये हैं खाना थाइलेन्ड का अच्छा लगता है, पानी विदेशी कम्पनी की बोतल का ही अच्छा होता है, बच्चे ओक्स्फ़ोर्ट युनीवर्सिटी से पढ रहे हैं तथा स्विस बैंक में खाता है.
ऐसे लोगों को आप किस तरह का स्वदेशी मानेंगे
ये आप को बतना है.............................

1 comment:

दिनेशराय द्विवेदी said...

हिन्दी ब्लॉगजगत में आप का स्वागत है।
कृपया अपने टिप्पणी फार्म पर से वर्ड वेरिफिकेशन हटाएँ इस से टिप्पणी करने वाले को बहुत समस्या होती है और समय भी अधिक लगता है। इस के लिए आप अपने डैशबोर्ड में जा कर कमेंटस् में जाएँ और वहाँ वर्ड वेरिफिकेशन पर जा कर उसे नो कर दें।
धन्यवाद्
वर्ड वेरिफिकेशन हटा देने पर मुलाकात होगी।