हमारे देश में देशभक्तों की कमी नहीं है.
ना ही थी, और न ही रहेगी
एक वो देश भक्त थे जिन लोगों ने अपने जीवन ही नहीं, घर-बार, पैसा टका, सुख-सुविधा यहां तक कि अपनी मौत भी देश के नाम कर दी,
और एक ये तथाकथित देश भक्त जो भगवा उठाये चीख चीख के कह रहे हैं कि हम ही देश भक्त हैं, हम ही देश के सपूत हैं ,हमारे सिवा देश का रखवाला कोई नहीं है
जब कि आप यदि इन लोगों से कहें कि जाओ ज़रा सीमा पर नहीं तो कश्मीर में जाकर लोगों को समझाओ तो इन का मल और मूत्र दोनों एक साथ निकल आयेगा
देशभक्त देश को जोड.ते हैं तोड.ते नहीं हैं और इन भगवा धारी, कच्छा धारी का काम ही देश को तोड.ना ही है, अगर तोड.ना नहीं है तो अपने ही घर में तलवार, लठ, बरछी, फ़रसे आदि चलाने की ट्रेनिंग क्यों लेते है और देते हैं
कभी सुना है कि एक कच्छा धारी ने एक आतंकवादी को मार गिराया , हां ये तो कई बार सुना होगा कि एक भगवा ने एक अल्पसंख्यक को बेरेहमी से मार डाला या एक कच्छाधारी ने एक मुस्लिम महिला को मार कर उस के पेट में से उसका बच्चा निकाल कर तलवार के ऊपर उछाल दिया ये मैं नहीं कह रहा हूं खुद भगवाधारी ने कहा था टीवी में और उसका बचाव कच्छाधारी कर रहे थे
मैं आप लोगों से पूछ रहा हूं कि इतनी नफ़रत क्यूं?
Saturday, February 16, 2008
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