Din ko rizk ki talash karo aur raat ko usey talash karo jo tumhai rizk deta hay.
दिन को रिज़्क की खोज करो और रात को उसे ढूंडो जो तुम्हें रिज़्क दे....
Tum achchha karo aur zamana bura samjhey , yeh tumharay haq men behter hai bajaye is ke ki tum bura karo aur zamana tum ko achchha samjhey......
तुम अच्छा करो और ज़माना बुरा समझे यह तुम्हारे लिए बेहतर है, बजाए इस के कि तुम बुरा करो और ज़माना तुमको अच्छा समझे......
Lambi umeedoon se perhaiz kia karo, kyon ke yeh dosri neimton ko Tumhari nazar mai haqeer bana deti hain aur tum unki shukar guzari nahi kertay....
लम्बी उम्मीदों से परहेज़ किया करो, क्यों कि यह दूसरी नियमतो को तुम्हारी नज़र में हकीर बना देती है और तुम उनकी शुक्रगुज़ारी नहीं करते.............
Jub tum duniya ki muflisi se tang aajao aur rizq ka koi rasta na niklay To sadqa de ker ALLAH se tijarat karo.
जब तुम दुनिया की मुफ़लिसी से तंग आजाओ और रिज़्क का कोई रास्ता ना निकले तो सदका दे कर अल्लाह से तिजारत करो..........
Sunday, May 30, 2010
hazrat Ali (Radi Allaho Anho) ki seekh
Tum Gulab Ka Phool Ban Jao kyun key Yah Phool Us Key Hathoon main bhi Khushbu chhod jata hai jo ise masal kar phenk deta hai.
तुम गुलाब का फूल बन जाओ क्यूं कि यह फूल उस के हाथों में भी खुश्बू छोड़ जाता है जो इसे मसल कर फ़ेक देता है.....
तुम गुलाब का फूल बन जाओ क्यूं कि यह फूल उस के हाथों में भी खुश्बू छोड़ जाता है जो इसे मसल कर फ़ेक देता है.....
hazrat ali (Radi allaho anho) ki seekh
Tum Kisi Ko Chaho Or Woh Tumhen Thukra dey To Yeh Us Ki Badnasibi Hai. Or Us Ke Bad tum us ko Zabardasti Apnana Chaho To Yah Tumheray Nafs Ki Zillat Hai.
तुम किसी को चाहो और वह तुम्हें ठुकरादे तो यह उस की बदनसीबी है.. और उस के बाद तुम उस को ज़बर्दस्ती अपनाना चाहो तो यह तुम्हारी नफ़्स की ज़िल्लत है,,,,...
तुम किसी को चाहो और वह तुम्हें ठुकरादे तो यह उस की बदनसीबी है.. और उस के बाद तुम उस को ज़बर्दस्ती अपनाना चाहो तो यह तुम्हारी नफ़्स की ज़िल्लत है,,,,...
Saturday, November 15, 2008
दो फज़लापन
देश में विस्फोट हो रहे थे
हर विस्फोट के पीछे सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही समुदाय और एक ही संप्रदाय का हाथ माना जा रहा था
लेकिन यह क्या हुआ साध्वी जी कहाँ से आ गई। और तो और देश के रक्षक ही देश वालों के भक्षक बन बैठे । परत दर परत खुलती जा रही है और भी नाम सामने आने वाले है कुछ सफ़ेद पोश लोगों के कुछ भगवाधारी के और उन लोगों को आभास भी होगया है की उनके नाम खुल सकते है तो हंगामा मचा रहे है और खुल कर उन देशद्रोहियों का समर्थन कर रहे है और तो और भावी प्रधानमंत्री मंच के ऊपर से पूरा समर्थन कर रहे है यह है कुछ देशद्रोहियों की निति दो फजली निति ।
ऐसे लोगों पर कैसे भरोसा रखा जाए जिस के कन्धों पर देश की इस्मत , देश के लोगों की जान की हिफाज़त ,
हर विस्फोट के पीछे सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही समुदाय और एक ही संप्रदाय का हाथ माना जा रहा था
लेकिन यह क्या हुआ साध्वी जी कहाँ से आ गई। और तो और देश के रक्षक ही देश वालों के भक्षक बन बैठे । परत दर परत खुलती जा रही है और भी नाम सामने आने वाले है कुछ सफ़ेद पोश लोगों के कुछ भगवाधारी के और उन लोगों को आभास भी होगया है की उनके नाम खुल सकते है तो हंगामा मचा रहे है और खुल कर उन देशद्रोहियों का समर्थन कर रहे है और तो और भावी प्रधानमंत्री मंच के ऊपर से पूरा समर्थन कर रहे है यह है कुछ देशद्रोहियों की निति दो फजली निति ।
ऐसे लोगों पर कैसे भरोसा रखा जाए जिस के कन्धों पर देश की इस्मत , देश के लोगों की जान की हिफाज़त ,
Wednesday, February 20, 2008
स्वदेशी
मैं यह मानता हूं कि स्वदेशी हम सब को होना ही चाहिये, हम सब का मतलब "हम सब" होना चाहिये, न कि जो लोग प्रचार कर रहे हैं उन्हें छोड. कर.
कुछ लोग स्वदेशी का हथियार ले कर अपने लिये मुर्गा तलाशते रह्ते हैं क्या आपने कभी गौर किया है कि उनके हाथ में घडी कौनसी है, उन के चश्में के शीशे कहां के हैं, उनके जूते कहां के है, उनके जेब में लगा हुआ पेन कहां का है, उनके कपडे. कहां के हैं, खाने में जो चीज़ें वो खाते है वो कहां से मंगवाइ गईं है, पानी किस कम्पनी का पी रहे हैं बच्चे कहां से पढाई कर रहे हैं बैंक में खाता कहां है इत्यादि इत्यादि............
जब आप गौर करेंगे तो आप को मिलेगा कि उनके हाथ में जो घडी है वो स्विज़रलेन्ड की है, उनके चश्में जर्मनी से आयें हैं, उनके जूते इंग्लेन्ड से मंगाये हैं, जेब में पेन जापानी है, कपडे अमेरिका से आये हैं खाना थाइलेन्ड का अच्छा लगता है, पानी विदेशी कम्पनी की बोतल का ही अच्छा होता है, बच्चे ओक्स्फ़ोर्ट युनीवर्सिटी से पढ रहे हैं तथा स्विस बैंक में खाता है.
ऐसे लोगों को आप किस तरह का स्वदेशी मानेंगे
ये आप को बतना है.............................
कुछ लोग स्वदेशी का हथियार ले कर अपने लिये मुर्गा तलाशते रह्ते हैं क्या आपने कभी गौर किया है कि उनके हाथ में घडी कौनसी है, उन के चश्में के शीशे कहां के हैं, उनके जूते कहां के है, उनके जेब में लगा हुआ पेन कहां का है, उनके कपडे. कहां के हैं, खाने में जो चीज़ें वो खाते है वो कहां से मंगवाइ गईं है, पानी किस कम्पनी का पी रहे हैं बच्चे कहां से पढाई कर रहे हैं बैंक में खाता कहां है इत्यादि इत्यादि............
जब आप गौर करेंगे तो आप को मिलेगा कि उनके हाथ में जो घडी है वो स्विज़रलेन्ड की है, उनके चश्में जर्मनी से आयें हैं, उनके जूते इंग्लेन्ड से मंगाये हैं, जेब में पेन जापानी है, कपडे अमेरिका से आये हैं खाना थाइलेन्ड का अच्छा लगता है, पानी विदेशी कम्पनी की बोतल का ही अच्छा होता है, बच्चे ओक्स्फ़ोर्ट युनीवर्सिटी से पढ रहे हैं तथा स्विस बैंक में खाता है.
ऐसे लोगों को आप किस तरह का स्वदेशी मानेंगे
ये आप को बतना है.............................
Saturday, February 16, 2008
देश भक्त
हमारे देश में देशभक्तों की कमी नहीं है.
ना ही थी, और न ही रहेगी
एक वो देश भक्त थे जिन लोगों ने अपने जीवन ही नहीं, घर-बार, पैसा टका, सुख-सुविधा यहां तक कि अपनी मौत भी देश के नाम कर दी,
और एक ये तथाकथित देश भक्त जो भगवा उठाये चीख चीख के कह रहे हैं कि हम ही देश भक्त हैं, हम ही देश के सपूत हैं ,हमारे सिवा देश का रखवाला कोई नहीं है
जब कि आप यदि इन लोगों से कहें कि जाओ ज़रा सीमा पर नहीं तो कश्मीर में जाकर लोगों को समझाओ तो इन का मल और मूत्र दोनों एक साथ निकल आयेगा
देशभक्त देश को जोड.ते हैं तोड.ते नहीं हैं और इन भगवा धारी, कच्छा धारी का काम ही देश को तोड.ना ही है, अगर तोड.ना नहीं है तो अपने ही घर में तलवार, लठ, बरछी, फ़रसे आदि चलाने की ट्रेनिंग क्यों लेते है और देते हैं
कभी सुना है कि एक कच्छा धारी ने एक आतंकवादी को मार गिराया , हां ये तो कई बार सुना होगा कि एक भगवा ने एक अल्पसंख्यक को बेरेहमी से मार डाला या एक कच्छाधारी ने एक मुस्लिम महिला को मार कर उस के पेट में से उसका बच्चा निकाल कर तलवार के ऊपर उछाल दिया ये मैं नहीं कह रहा हूं खुद भगवाधारी ने कहा था टीवी में और उसका बचाव कच्छाधारी कर रहे थे
मैं आप लोगों से पूछ रहा हूं कि इतनी नफ़रत क्यूं?
ना ही थी, और न ही रहेगी
एक वो देश भक्त थे जिन लोगों ने अपने जीवन ही नहीं, घर-बार, पैसा टका, सुख-सुविधा यहां तक कि अपनी मौत भी देश के नाम कर दी,
और एक ये तथाकथित देश भक्त जो भगवा उठाये चीख चीख के कह रहे हैं कि हम ही देश भक्त हैं, हम ही देश के सपूत हैं ,हमारे सिवा देश का रखवाला कोई नहीं है
जब कि आप यदि इन लोगों से कहें कि जाओ ज़रा सीमा पर नहीं तो कश्मीर में जाकर लोगों को समझाओ तो इन का मल और मूत्र दोनों एक साथ निकल आयेगा
देशभक्त देश को जोड.ते हैं तोड.ते नहीं हैं और इन भगवा धारी, कच्छा धारी का काम ही देश को तोड.ना ही है, अगर तोड.ना नहीं है तो अपने ही घर में तलवार, लठ, बरछी, फ़रसे आदि चलाने की ट्रेनिंग क्यों लेते है और देते हैं
कभी सुना है कि एक कच्छा धारी ने एक आतंकवादी को मार गिराया , हां ये तो कई बार सुना होगा कि एक भगवा ने एक अल्पसंख्यक को बेरेहमी से मार डाला या एक कच्छाधारी ने एक मुस्लिम महिला को मार कर उस के पेट में से उसका बच्चा निकाल कर तलवार के ऊपर उछाल दिया ये मैं नहीं कह रहा हूं खुद भगवाधारी ने कहा था टीवी में और उसका बचाव कच्छाधारी कर रहे थे
मैं आप लोगों से पूछ रहा हूं कि इतनी नफ़रत क्यूं?
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