Saturday, November 15, 2008

दो फज़लापन

देश में विस्फोट हो रहे थे
हर विस्फोट के पीछे सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ही समुदाय और एक ही संप्रदाय का हाथ माना जा रहा था
लेकिन यह क्या हुआ साध्वी जी कहाँ से आ गई। और तो और देश के रक्षक ही देश वालों के भक्षक बन बैठे । परत दर परत खुलती जा रही है और भी नाम सामने आने वाले है कुछ सफ़ेद पोश लोगों के कुछ भगवाधारी के और उन लोगों को आभास भी होगया है की उनके नाम खुल सकते है तो हंगामा मचा रहे है और खुल कर उन देशद्रोहियों का समर्थन कर रहे है और तो और भावी प्रधानमंत्री मंच के ऊपर से पूरा समर्थन कर रहे है यह है कुछ देशद्रोहियों की निति दो फजली निति ।
ऐसे लोगों पर कैसे भरोसा रखा जाए जिस के कन्धों पर देश की इस्मत , देश के लोगों की जान की हिफाज़त ,

Wednesday, February 20, 2008

स्वदेशी

मैं यह मानता हूं कि स्वदेशी हम सब को होना ही चाहिये, हम सब का मतलब "हम सब" होना चाहिये, न कि जो लोग प्रचार कर रहे हैं उन्हें छोड. कर.

कुछ लोग स्वदेशी का हथियार ले कर अपने लिये मुर्गा तलाशते रह्ते हैं क्या आपने कभी गौर किया है कि उनके हाथ में घडी कौनसी है, उन के चश्में के शीशे कहां के हैं, उनके जूते कहां के है, उनके जेब में लगा हुआ पेन कहां का है, उनके कपडे. कहां के हैं, खाने में जो चीज़ें वो खाते है वो कहां से मंगवाइ गईं है, पानी किस कम्पनी का पी रहे हैं बच्चे कहां से पढाई कर रहे हैं बैंक में खाता कहां है इत्यादि इत्यादि............
जब आप गौर करेंगे तो आप को मिलेगा कि उनके हाथ में जो घडी है वो स्विज़रलेन्ड की है, उनके चश्में जर्मनी से आयें हैं, उनके जूते इंग्लेन्ड से मंगाये हैं, जेब में पेन जापानी है, कपडे अमेरिका से आये हैं खाना थाइलेन्ड का अच्छा लगता है, पानी विदेशी कम्पनी की बोतल का ही अच्छा होता है, बच्चे ओक्स्फ़ोर्ट युनीवर्सिटी से पढ रहे हैं तथा स्विस बैंक में खाता है.
ऐसे लोगों को आप किस तरह का स्वदेशी मानेंगे
ये आप को बतना है.............................

Saturday, February 16, 2008

देश भक्त

हमारे देश में देशभक्तों की कमी नहीं है.
ना ही थी, और न ही रहेगी
एक वो देश भक्त थे जिन लोगों ने अपने जीवन ही नहीं, घर-बार, पैसा टका, सुख-सुविधा यहां तक कि अपनी मौत भी देश के नाम कर दी,
और एक ये तथाकथित देश भक्त जो भगवा उठाये चीख चीख के कह रहे हैं कि हम ही देश भक्त हैं, हम ही देश के सपूत हैं ,हमारे सिवा देश का रखवाला कोई नहीं है
जब कि आप यदि इन लोगों से कहें कि जाओ ज़रा सीमा पर नहीं तो कश्मीर में जाकर लोगों को समझाओ तो इन का मल और मूत्र दोनों एक साथ निकल आयेगा
देशभक्त देश को जोड.ते हैं तोड.ते नहीं हैं और इन भगवा धारी, कच्छा धारी का काम ही देश को तोड.ना ही है, अगर तोड.ना नहीं है तो अपने ही घर में तलवार, लठ, बरछी, फ़रसे आदि चलाने की ट्रेनिंग क्यों लेते है और देते हैं
कभी सुना है कि एक कच्छा धारी ने एक आतंकवादी को मार गिराया , हां ये तो कई बार सुना होगा कि एक भगवा ने एक अल्पसंख्यक को बेरेहमी से मार डाला या एक कच्छाधारी ने एक मुस्लिम महिला को मार कर उस के पेट में से उसका बच्चा निकाल कर तलवार के ऊपर उछाल दिया ये मैं नहीं कह रहा हूं खुद भगवाधारी ने कहा था टीवी में और उसका बचाव कच्छाधारी कर रहे थे
मैं आप लोगों से पूछ रहा हूं कि इतनी नफ़रत क्यूं?